Saturday 16 December 2017

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का आखिरी भाषण: मैं तो कहता हूं एक बार पढ़ लेना चाहिए


"सत्ता, शोहरत और स्वार्थ आपके मकसद नहीं हैं। देश आपका मकसद है। इस देश के मूल्यों की रखवाली करना आपका मकसद है। ये ही मंजिल है। हम सब जानते हैं कि किस तरह हमारे देश के बुनियादी उसूलों पर रोज रोज हमला हो रहा है। बोलने और अपने आप को अभिव्यक्त करने की आजादी को तोड़ा जा रहा है। हमारी मिलीजुली संस्कृति पर वार हो रहा है। हर तरफ से संदेह का माहौल, एक भय का माहौल बनाया जा रहा है। इस बीच कांग्रेस को भी अपने अन्तर्मन में झांककर आगे बढ़ना पड़ेगा।"
पढ़िए पूरा भाषण : 

PC : PTI
आज मैं आख़री बार आपको कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में संबोधित कर रहीं हूं। एक नया दौर, एक नए नेतृत्व की उम्मीद आपके सामने है। 20 साल पहले जब आपने मुझे अध्यक्ष पद के लिए चुना और मैं इसी तरह एक दिन आपको संबोधित करने के लिए खड़ी थी। मेरे दिल में घबराहट थी। यहां तक कि मेरे हाथ कांप रहे थे। मैं सोच नहीं सकती थी कि किस तरह मैं इस एतिहासिक संगठन को संभालूंगी। मेरे सामने एक बहुत कठिन कर्तव्य था। तब तक राजनीति से मेरा नाता निजी था। जैसा कि आप सब जानते हैं कि राजीव जी और मेरा विवाह हुआ। उसी के जरिए मेरा राजनीति से परिचय हुआ, जिस परिवार में मैं आई, वह एक क्रांतिकारी परिवार था। इंदिरा जी उसी परिवार की बेटी थीं, जिस परिवार ने स्वतंत्रता संग्राम के लिए अपना धन, दौलत, पारिवारिक जीवन का त्याग किया था। उस परिवार का एक एक सदस्य देश की आजादी के लिए जेल जा चुका था। देश ही उनका मकसद था। देश ही उनका जीवन था।
PC : PTI
इंदिरा जी ने मुझे बेटी की तरह अपनाया। उनसे मैंने भारत की संस्कृति सीखी। उन उसूलों को सीखा, जिनपर इस देश की नींव डली है। 1984 में उनकी हत्या हुई। मुझे ऐसा महसूस हुआ, जैसे कि मेरी मां मुझसे छीन ली गई हैं। इस हादसे ने मेरे जीवन को हमेशा के लिए बदल डाला। उन दिनों मैं राजनीति को एक अलग नजरिए से देखती थी। मैं अपने आपको, पति और बच्चों को इससे दूर ही रखना चाहती थी, लेकिन मेरे पति के कंधों पर एक बड़ी जिम्मेदारी थी। उसे अपना कर्तव्य समझकर उन्होंने पीएम का पद स्वीकार कर लिया। इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए उन्होंने दिन-रात एक किए। उनके साथ मैंने देश के कोने-कोने का दौरा किया और लोगों की समस्या को समझा। देश के सामने चुनौतियों को जाना।
इंदिरा जी की हत्या के बाद सात साल बीते थे कि मेरे पति की भी हत्या की गई। मेरा सहारा...  मुझसे छीन लिया। इस दौर को पार करने में कई साल बीत गए। जब मुझे एहसास हुआ कि कांग्रेस पार्टी कमजोर हो रही है। उसके सामने चुनौतियां आ रही हैं। और सांप्रदायिक तत्व उभर रहे हैं तभी मुझे पार्टी के आम कार्यकर्ताओं की पुकार सुननी पड़ी। 
मुझे ये महसूस हुआ कि इस जिम्मेदारी को नकारने से इंदिरा जी, राजीव जी दोनों की आत्मा को ठेस पहुंचेगी और उनका बलिदान बेकार जाएगा, इसलिए देश के लिए कर्तव्य को पूरा करने के लिए मैं राजनीति में आई। उस समय कांग्रेस के पास मुझे याद है शायद केवल 3 राज्यों में सरकार थी। हम केंद्र सरकार से भी कोसों दूर थे। इस चुनौती का सामना किसी एक व्यक्ति का चमत्कार नहीं कर सकता था। आप सबके सहयोग से हम सबने बेमिसाल कामयाबियां हासिल कीं। और फिर एक के बाद एक दो दर्जन से अधिक राज्यों में सरकारें बनीं। ऐसे परिणाम मजबूत इरादे, अपने सिद्धांतो के प्रति संकल्प और समर्थन से प्राप्त होते हैं।

कांग्रेस के लाखों कार्यकर्तागण, मेरे प्यारे भाइयों और बहनों इस जीवन यात्रा में आप मेरे हमसफर रहे हैं। मार्गदर्शक रहे हैं। मैं आप सबको धन्यवाद देती हूं कि आपने हर मोड़ पर मेरा साथ दिया। मैंने आपसे जो सीखा और समझा उसकी कोई तुलना नहीं हो सकती। मेरे अध्यक्षता के शुरुआती सालों में हमने मिलकर पार्टी को एकजुट रखने की लड़ाई लड़ी।

''मैं पति और बच्चों को राजनीति से अलग रखना चाहती थी. जब मैंने पद संभाला, उस वक़्त हमारी सिर्फ़ 3 राज्यों में सरकार थी. उसके बाद हम सब ने मिलकर अपनी सोच और संकल्प से 2 दर्जन से ज़्यादा राज्यों में सरकार बनाई.''
PC : PTI
2004 से अगले 10 सालों तक हमारी पार्टी ने अनेक दलों के साथ मिलकर देश की जनता को एक जिम्मेदार और प्रगतिशील सरकार दी। जिसका नेतृत्व डॉ. मनमोहन सिंह जी ने ईमानदारी से किया। हमने समाज के हर तबके का प्रतिनिधित्व और विकास किया। हम इस तथ्य पर गर्व करते हैं कि इस दौरान हमने कई ऐसे कानून बनाए जो लोगों के अधिकारों पर आधारित थे, जिनके बल पर शिक्षा, स्वास्थ्य, भोजन, रोजगार जानकारी आदि के अधिकार का फायदा हम देश के करोड़ों भाई-बहनों को दे पाए।

2014 से एक बार फिर हम विपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं, शायद इतनी बड़ी चुनौती जितनी आज है हमारे सामने कभी नहीं रही। आज हमारे संवैधानिक मूल्यों पर हमला किया जा रहा है, इसके साथ-साथ हमारी पार्टी कई चुनाव हार चुकी है, लेकिन हमारे कार्यकर्ताओं में बेमिसाल साहस जीवित है। हम डरने वालों में से नहीं हैं। हम झुकने वाले नहीं है। हमारा संघर्ष इस देश की रूह के लिए है। हम इससे कभी पीछे नहीं हटेंगे। आप सब कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता हैं। आप सब उन उसूलों के रखवाले हैं, जिनपर ये देश बना है। 

ये कोई छोटी सी चीज नहीं है। सत्ता, शोहरत और स्वार्थ आपके मकसद नहीं हैं। देश आपका मकसद है। इस देश के मूल्यों की रखवाली करना आपका मकसद है। ये ही मंजिल है। हम सब जानते हैं कि किस तरह हमारे देश के बुनियादी उसूलों पर रोज रोज हमला हो रहा है। बोलने और अपने आप को अभिव्यक्त करने की आजादी को तोड़ा जा रहा है। हमारी मिलीजुली संस्कृति पर वार हो रहा है। हर तरफ से संदेह का माहौल, एक भय का माहौल बनाया जा रहा है। इस बीच कांग्रेस को भी अपने अन्तर्मन में झांककर आगे बढ़ना पड़ेगा। अगर हम अपने उसूलों पर खुद खरे नहीं उतरेंगे तो हम आम आदमी को हितों की रक्षा नहीं कर पाएंगे। ये एक नैतिक लड़ाई है। इसमें जीत हासिल करने के लिए हमें अपने आप को भी दुरुस्त करना पड़ेगा। और किसी भी त्याग या बलिदान के लिए हमेशा तैयार रहना पड़ेगा।
PC : PTI
साथियों भारत एक युवा देश है। मुझे पूरा भरोसा है कि नवीन नेतृत्व से पार्टी में नया जोश आएगा। आपने इस नेतृत्व के लिए राहुल को चुना है। राहुल मेरा बेटा है, उसकी तारीफ करना मुझे उचित नहीं लगता। मगर मैं इतना जरूर कहूंगी कि बचपन से ही राहुल ने हिंसा का अपार दुख झेला था। राजनीति में आने पर उसने एक ऐसे भयंकर व्यक्तिगत हमले का सामना किया जिसने उसे निडर और मजबूत दिल का इंसान बनाया है।
मुझे उसकी सहनशीलता और दृढ़ता पर गर्व है और मुझे पूरा विश्वास है कि राहुल पार्टी का नेतृत्व सच्चे दिल, धैर्य, पूरे समर्पण के साथ करेंगे। जैसे आप सब नए रास्ते पर बढ़ेंगे, आपकी हर उपलब्धि में मेरी खुशी शामिल होगी। ये रास्ता हमारे पूर्वजों के विवेक, उनके उदार सिद्धांतों और कांग्रेस पार्टी की परंपराओं से मार्गदर्शित हो और देश के करोड़ों युवाओं और जन जन की आशाओं अपेक्षाओं पर खरा साबित हो।

साथियों, 20 साल गुजर गए हैं, करीब करीब जीवन का एक  हिस्सा बीत गया है। आज इस जिम्मेदारी को छोड़ते हुए सभी कांग्रेसजनों और देश के नागरिकों द्वारा दिए गए असीम प्यार, स्नेह के लिए तहेदिल से शुक्रिया अदा करती हूं। आप सबका दिल से धन्यवाद।

जयहिंद!


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