Thursday 24 January 2013

स्मोकिंग का फैशन हैं जान लेवा


        

  नो स्मोकिंग या तम्बाकू सेवन सेहत के लिए हानिकारक है। ये शब्द अक्सर दुकानों के बाहर, दीवारों पर लगे पोस्टरों में किसी अखबार के पन्ने पर और कालेजों के नोटिस बोर्ड पर लिखे हुए देखे जा सकते हैं। हैरानी की बात है जहां यह शब्द लिखे होते हैं, उन्हीं जगहों पर लोग गुटखा, तम्बाकू खाते और सिगरेट सुलगाते हुए मिल जाते हैं।
      अखबार और टीवी चैनलों में तम्बाकू अभियान से होने वाली बीमारियो व इससे बचने के उपायों का प्रसारण भी किया जाता है वहीं लोग अपने हाथ में बीड़ी व सिगरेट लिए उस विज्ञापन को बड़े ही इतमीनान से देख रहे होते हैं। इसी के साथ सरकारी संस्थान भी जगह जगह कैम्प लगाते हैं जिन में तंबाकू के सेवन से होने वाली दमा, कैंसर, रक्तचाप का बढ़ना या घटना जैसी बीमारियोें के बारे में लम्बा चैड़ा लेक्चर दिया जाता है। साथ ही तम्बाकू के उत्पाद पर वैधानिक चेतावनी भी प्रकाशित होती है। जिसका कोई असर नही होता और नतीजा ज़ीरो ही रहता है।

आमतौर पर देखा जाये तो तम्बाकू का सेवन करना, यह केवल एक बुरी लत नहीं है बल्कि यह आज-कल की युवा पीढ़ी के लिए स्टेटस सिंबल सा बन गया है जहां युवा पीढ़ी को सिगरेट सुलगाते हुए दिल्ली में कई जगहों पर आराम से देखा जा सकता है वहीं कालेजों के बाहर यह नज़ारा आम होता है। इसी कड़ी में ज़्यादातर कालेजों और संस्थानों के पास वाली दुकान या मार्केट में दो चार छात्र-छात्राओं का झुण्ड आपको सिगरेट के कश लगाता हुआ मिल जायेगा। इस उम्र के लड़के-लड़कियां स्मोकिंग को एक फैशन समझ कर शुरू करते है। उनका यही फैशन कब उनकी कमजोरी बन जाता है। उन्हें पता ही नहीं चलता और धीरे-धीरे फिर यह जान लेवा बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। पर वह इस फैशन की लत में यह भूल जाते हैं कि उनका सिगरेट का हर कश उनकी सांसो को भी एक-एक करके धुएं में उड़ा रहा है। युवा फैशन के चक्कर में स्मोकिंग के ऐसे भंवर में फंस जाते हैं कि इस से निकलना भी चाहे तो वे निकल नहीं पाते हैं जो उनके लिए जानलेवा साबित होता है।