विजय शंखनाद
के बहाने वोटों का ध्रुवीकरण
आ गए न अपनी हकीकत पर विकास की राजनीति का ढोंग रचाने वाले। भाजपा मोदी का चेहरा दिखाकर वोटों का धु्रवीकरण करना चाहती है। 2002 के दंगे लोगों के जहन में घर कर गए हैं। इतना ही नहीं क्लीन चिट मिलने के बावजूद मोदी की छवि दंगों वाली ही बनी हुई है। इसलिए भाजपा का मेरठ में विजय शंखनाद रैली का मकसद मुजफ्फरनगर के दंगों को लोकसभा चुनाव के लिए कैश करना था। इसके जरिए भाजपा मोदी की हिंदुत्व वाली छवि को और मजबूत करना चाहती है। यही वजह थी कि भाजपा विधायक संगीत सोम पर आरोप लगने के बाद सोम को मोदी ने सम्मानित किया। दंगा पीड़ितों के लिए कोई दर्द नहीं, कोई दुख नहीं सिर्फ और सिर्फ राजनीति। अगर दर्द है तो सिर्फ इस बात का, कि कांग्रेस ने 60 साल शासन किया। मुझे 60 माह ही दे दो। नक्शा बदलकर रख देंगे। वादा करते हैं चाय बेची है देश नहीं बेचेंगे। फेरे लेते वक्त बीवी का साथ देने का वादा किया होगा, लेकिन बीवी का साथ दे न सके देश का साथ देने चले हैं।
मोदी की पत्नी का इंटरव्यू पढ़ा आपने?
'आरएसएस शाखाओं में गुजारते थे वक्त'
सवालः क्या उन्होंने कभी आपसे कहा कि वह आपको छोड़ रहे हैं या शादी का रिश्ता खत्म कर रहे हैं?
जशोदाबेनः उन्होंने एक बार कहा था, "मुझे देश भर में घूमना है और जहां मेरा मन करेगा, मैं वहां चला जाऊंगा, तुम मेरे पीछे आकर क्या करोगी?" जब मैं उनके परिवार के साथ रहने के लिए वाडनगर आई, तो उन्होंने मुझसे कहा, "अभी तुम्हारी उम्र ज्यादा नहीं है, फिर तुम अपने ससुराल में रहने के लिए क्यों आ गईं? तुम्हें अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।" अलग होने का फैसला मेरा था और हमारे बीच कभी कोई टकराव नहीं हुआ।
जशोदाबेनः उन्होंने एक बार कहा था, "मुझे देश भर में घूमना है और जहां मेरा मन करेगा, मैं वहां चला जाऊंगा, तुम मेरे पीछे आकर क्या करोगी?" जब मैं उनके परिवार के साथ रहने के लिए वाडनगर आई, तो उन्होंने मुझसे कहा, "अभी तुम्हारी उम्र ज्यादा नहीं है, फिर तुम अपने ससुराल में रहने के लिए क्यों आ गईं? तुम्हें अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।" अलग होने का फैसला मेरा था और हमारे बीच कभी कोई टकराव नहीं हुआ।