Monday 14 November 2016

पता चल गया सोनम गुप्ता बेवफा नहीं, आशिक कमीना है


'सोनम गुप्ता बेवफा है' क्या तुम भी यही मानते हो. क्या तुम सोनम का जवाब सुनना नहीं चाहोगे ? क्या उसे बोलने का मौका नहीं दोगे? मरने वाले से भी उसकी अंतिम इच्छा मालूम की जाती है. सोनम को जाने बिना बेवफा कहना नाइंसाफी होगी. मैं तो कहता हूं अच्छा किया जो उसने उस सिरफिरे आशिक को छोड़ दिया. क्योंकि उसे तो कभी सोनम से प्यार ही नहीं था. उसे सिर्फ चाहत थी सोनम को पाने की. उसे हासिल करने की. कभी उसने सोनम से इश्क ही नहीं किया. हासिल नहीं कर पाया तो कर दिया उसे बदनाम, वो भी सिर्फ 10 रुपये में. कितना नीच था जो सोनम की कीमत नहीं जान सका. और लिख दिया वो जो कभी किसी सच्चे आशिक ने अपनी महबूबा को नहीं कहा.

इस आशिक ने तो सोनम को बेवफा साबित कर दिया. एक हमारी आशिकी देखो कि जब 'सनम बेवफा' हुई तो हम उसके दीवाने हो गए. न जाने अबतक कितनी बार सनम बेवफा को देख चुके हैं. हर बार उतनी ही मोहब्बत होती है जितनी पहली बार देखने पर हुई थी. दिमाग के घोड़े न दौड़ाओ सलमान खान की फिल्म की बात कर रहा हूं. 'सनम बेवफा' 11 जनवरी 1991 में रिलीज हुई थी. मैं तो पैदा भी नहीं हुआ था. उसी साल 2 जुलाई को पैदा हुआ था. पहली बार जब सनम बेवफा देखी तो उसका एक गाना दिमाग में ऐसा फिट हुआ कि परेशानी में होता हूं तो मुंह से निकलता है, 'अल्लाह करम करना, लिल्लाह करम करना. बेकस पर रहम करना.' कर दुआ रहा होता हूं याद 'सनम बेवफा' आ जाती है. ये इश्क ही तो है. सोनम गुप्ता की रुसवाई देखकर और उसकी खामोशी पर बस ये ही दुआ है अल्लाह करम करना.

ये कैसा आशिक है जिसने सोनम को रुसवा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. नोट पर ऐसे लिख दिया 'सोनम गुप्ता बेवफा है.' जैसे कह रहा हो गुप्ता अंकल का मेडिकल खुला है. मुझे ये बेवफाई का नारा पढ़ कर वो दीवारें भी याद आती हैं जिन पर लिखा होता है गधे के पूत यहां न मूत. ऐसा लिखने वाली भी इस सिरफिरे आशिक की तरह ही नीच हैं, क्योंकि वो भी मूतने वाले को कुछ नहीं कह रहे, बल्कि उसके बाप को गधा बता रहे हैं, जिसके बाप को पता भी नहीं कि उसका बेटा कहां मूत रहा है. ये लिखा देखकर मुझे तो ऐसा लगता है जैसेमूतने वाला मूत तो दीवार पर रहा हो और वो मूत गिर रहा हो लिखने वाले के दिमाग में. अगर ऐसा न होता तो वो कभी भी दीवार पर बाप को गधा न लिखकर मूतने वाले को सबक सिखाता.

ये आशिक भी अगर सोनम से यक़ीनन इश्क करता तो कभी नोट पर ऊल-जलूल हरकत न करता. क्योंकि सोनम गुप्ता उसे नहीं मिली तो इसका मतलब ये तो नहीं हुआ कि वो बेवफा है. उसकी कुछ मजबूरियां रही होंगी. हो सकता है उसे बुखार आ गया हो. हो सकता है उसका एक्सीडेंट हो गया हो. हो सकता है उसकी ऑफिस में शिफ्ट चेंज हो गई हो और उसे घर से निकलने का टाइम न मिलता हो. हो सकता है कोई रिश्तेदार घर पर मेहमान बनकर आ गया हो. उसकी खातिर तवाजो में आशिक से मिलने की फुर्सत न मिली हो. तूने नोट पर लिखा है तो मान लेते हैं सोनम जानबूझकर नहीं आई. तो इसका बदला ये तो नहीं कि तुम उसके इश्क को सरकारी कर दो. और वो इश्क सबके हाथों में नाचे.

तुमने तो लिख दिया जो लिखना था. अब सोचो अगर तुम्हे यकीनन सोनम से इश्क था तो अब तुम्हारा इश्क बाजारों में लुटेगा. कोई उससे सब्जी मार्केट में कद्दू खरीदेगा. कोई मेडिकल से दर्द को खत्म करने के लिए डिस्प्रिन या सीने का जलन दूर करने के लिए ENO खरीदेगा, क्योंकि दस रुपये में ये ही सब मिल पाएगा और क्या मिलेगा ?

 वो नोट कभी इस हाथ में तो कभी इस हाथ में. दर-दर भटकेगा. कोई उस पर हंसेगा. कोई गरियाएगा. ऐ दिखावे वाले आशिक, ये सिर्फ चाहत थी तुम्हरी, सोनम को पाने की. मोहब्बत होती तो कभी अपने इश्क को यूं रुसवा न करता. खुद को आग के दरिया में डाल देता और अपने इश्क को बचा लेता.

ये भी तो हो सकता है कि इस आशिक की मोहब्बत 1993 में आई डर फिल्म के शाहरुख खान की तरह हो. क्या पता एकतरफा मान बैठा हो कि वही सोनम का बॉयफ्रेंड है. क्या पता सोनम किसी और से प्यार करती हो. और फिर ये आशिक डर फिल्म के शाहरुख खान की तरह उसे पाने के लिए स.स.स्स्स सोनम करता फिरा हो. क्योंकि शाहरुख खान भी तो क.क.कि किरन करता फिरा था पूरी फिल्म में. तुम जो भी हो मियां मिठ्ठू आशिक, ये सही नहीं है. तुम बहुत ही गलत हो. सोनम तुम्हे नहीं मिली तो उसे बेवफा घोषित कर दिया. अच्छा हुआ जो सोनम तुम्हारे साथ नहीं है. नहीं तो उसे 10 रुपये के लिए बेच भी सकते थे. सोनम तुम जहां भी हो खुश रहो. ये आशिक नहीं बन सकता.

Sunday 8 May 2016

मां आज अनवर आपके हाथ की भिंडी भी खा लेगा

मां तुम सोशल मीडिया पर अपना घर क्यों नहीं बसा लेतीं। देखो आपके फरमाबरदार बेटे कितनी खूबसूरत बातें आपकी शान में लिख रहे हैं। "लव यू मॉम" कहते कहते प्यारी बेटियों के लबों पर खुशकी आ जा रही है। मां तुम देख भी पा रही हो या नहीं। या फिर बच्चों की भूख मिटाने के लिए चूल्हा संभाले बैठी हो।
सोशल मीडिया पर मां ही मां है, लेकिन मां तुम्हारी ये खामोशी बता रही है कि तुम इस बात की उलझन में बैठी हो रात को खाने में क्या बनाऊं, क्योंकि अनवर को भिंडी पसंद नहीं है, फोजिया को गोश्त से एलर्जी है और उनके पापा दाल पसंद नहीं करते हैं। फिर भी तुम सबकी पसंद पूरी कर देती हो। पसंद में जरा सी मिर्च तेज हुई तो खाना धरा रह जाता है और तुम्हारी मेहनत बेकार। तुम बेकार की उलझन मेे बैठी हो। मां आओ तुम्हें सोशल मीडिया की सैर करा दूं। देखो तुम्हारे बच्चे सुधर गए हैं। यहां सब अच्छा-अच्छा है। अनवर आपके हाथ की भिंडी खा लेगा, क्योंकि वो तो तुमसे बहुत प्यार करता है। यकीन नहीं आ रहा न तुमको, क्योंकि आज तक तुमने अनवर को मनमानी करते और झिड़कते ही देखा है। चलो तसल्ली करने के लिए आजका उसका फेसबुक स्टटेस चेक कर लो। पक्का तुम्हारी आंखें भर आएंगी इतनी मोहब्बत देखकर।
फोजिया ने तुमसे बात करना बंद कर दिया था, क्योंकि तुमने उसके पापा को उसके लिए स्कूटी खरीदने से मना कर दिया था। तुम्हें उसकी सुरक्षा की फिक्र थी। फोजिया ने तुम्हारे निहोरे करने के बाद भी पूरा दिन खाना नहीं खाया था न। देखो वही फोजिया आज कई साल पुरानी तुम्हारे साथ खींची गई तस्वीर इंस्टाग्राम पर शेयर कर रही है। उस तस्वीर पर उसने कैप्शन भी दिया है। "मेरी मां मेरी जिंदगी, लव यू मॉम"
 तुम भी न बेकार की फिक्र में मरी जा रही थीं कि बच्चे पता नहीं बड़े होकर किसके नक्शे कदम पर चलेंगे। अब मैं क्या बताऊं तुम खुद ही सोशल मीडिया पर देख लो वो तो अपना आइडल तुमको ही मानते हैं। मां सच कहूं सारे बहन भाइयों पर बेइंतेहा प्यार आ रहा है। मन कर रहा है कि सबके स्टटेस को चूमता रहूं, जो तुम्हारी ममता में उमड़ पड़े हैं। बस अफसोस इस बात का है, तुम ये सुख भोग नहीं सकोगी, क्योंकि तुम्हारा तो सोशल मीडिया पर अकाउंट ही नहीं है। तुम इस प्यार से भी वैसे ही वंचित रह जाओगी जैसे घर में सबकी ख्वाहिशें पूरी करने के चक्कर में अपनी ख्वाहिशों को किसी कोने में दफन कर देती हो। बस मेरी तो ये ही दुआ है कि सोशल मीडिया में छेद हो जाए, ताकि उस छेद से प्यार रिसकर तुम तक पहुंच जाए। 
 मां तुमसे एक बात कहूं बुरा न मानना। देर रात तुम अब बच्चों का इंतजार न करना बेफिक्र होकर सो जाना, वो क्या है न कि आज दोस्तों के साथ डिस्को पार्टी में आने से लेट हो जाएंगे। मदर्स डे तो सिर्फ सोशल मीडिया पर स्टटेस डालने के लिए ही होता है न। तुम मदर्स डे के फालतू बहकावे में मत आ जाना।

 आपके साथ सेल्फी खींचकर फेसबुक पर न डालने वाला
 आपका नालायक बेटा

Saturday 7 May 2016

इश्क नफरतों के लिए जहर है

इश्क नफरतों के लिए जहर है


इश्क करने कराने की चीज नहीं। ये एक खुश्बू है, उसे समेटो। इश्क एहसास है, महसूस करो। इश्क किताब है, उसे पढ़ो। इश्क मासूम है, उसकी खताओं पर न जाओ। इश्क बंदगी है, कैद से न डरो। इश्क मौसम है, खुद को उसके तापमान में ढालो। इश्क दो जिस्मों का मिलन नहीं, रूहों का सुकून है। इश्क कोई मंजिल नहीं, एक सफर है, गुनगुनाते चलो। इश्क कस्तूरी है, उसे महकाओ, उसकी तलाश में मृग न बनो।   ....... जहां पहरा है, वहां इश्क है। जहां कोई रूठा है वहां इश्क है। जहां जिद है, वहां इश्क है। जहां वादा है, वहां इश्क है। उसकी पसंद, इश्क है। उसका मनना-मनाना इश्क है। हर रिश्ते में इश्क है। हर दिन इश्क है। हर लम्हा इश्क है। ....... "इश्क मुकम्मल नहीं, अधूरापन इश्क है।" इश्क में चलने की कोई तकनीक नहीं, कभी पगडंडी इश्क है तो कभी गुमनाम राहें इश्क हैं।
.... इश्क पहचान है। इश्क दास्तान है। इश्क मिसाल है। कोई काम मुश्किल नहीं, अगर इश्क है। इश्क करो, इश्क नफरतों के लिए जहर है।...

 #इश्क #प्यार #मोहब्बत